विश्व विख्यात तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन| 73 वर्ष की उम्र में कहा दुनिया को अलविदा|

प्रख्यात तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन का 73 साल की उम्र में निधन हो गया है. उन्हें हृदय संबंधी समस्या होने पर अमेरिका के सैन फ्रांसिस्कों के एक हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था और अस्पताल के आईसीयू में विशेषज्ञ डाॅक्टरों की निगरानी में उनका उपचार चल रहा था.उपचार के दौरान उस्ताद जाकिर हुसैन ने अस्पताल में आखिरी सांस ली है.

विश्व विख्यात तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन : Zakir Hussain Passed Away

आज भारत ने अपना एक नायाब सितारा खो दिया. मशहूर तबला वादक और म्यूजिक कंपोजर जाकिर हुसैन ने 73 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया.73 वर्षीय जाकिर हुसैन को हृदय संबंधी समस्या होने पर अमेरिका के सैन फ्रांसिस्कों के एक हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था और वहीं उनका इलाज चल रहा था. जाकिर हुसैन की तबीयत अचानक बिगड़ने के बाद अस्पताल के आईसीयू में विशेषज्ञ डाॅक्टरों की निगरानी में उनका उपचार चल रहा था और हालत बिगड़ रही थी.उपचार के दौरान उस्ताद जाकिर हुसैन ने रविवार दिनांक 16 दिसम्बर 2024 को अस्पताल में आखिरी सांस ली है.

उस्ताद जाकिर हुसैन के असामयिक निधन पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केन्द्रीय मंत्रियों सहित फिल्म और कला जगत की हस्स्तियों ने शोक जताया है .

दुनिया के महान तबला वादक :

उस्ताद जाकिर हुसैन भारत ही नहीं पूरी दुनिया के मशहूर तबला वादक थे. उस्ताद जाकिर हुसैन को दुनिया के महान तबला वादकों में से एक माना जाता है. उन्होंने मात्र तीन साल की उम्र में ही संगीत सीखना शुरू किया था और सात साल उम्र में अपना पहला परफॉर्मेंस दिया था. उस्ताद जाकिर हुसैन पहले भारतीय संगीतकार हैं जिन्हें पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ऑल-स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट के लिए व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया था.

उस्ताद जाकिर हुसैन को भारत सरकार ने पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया था. उन्हें वर्ष 2023 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. वर्ष 1999 में उन्हें यूएस नेशनल एंडॉमेंट फॉर द आर्ट्स ने नेशनल हेरिटेज फेलोशिप से सम्मानित किया था और इसके बाद उन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत के ग्लोबल एंबेसडर के रूप में मान्यता मिली.

उस्ताद जाकिर हुसैन का प्रारंभिक जीवन :

मशहूर तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन का जन्म 1951 में महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में हुआ था. उनके पिता का नाम उस्ताद अल्लारखा कुरैशी और माता का नाम बावी बेगम था. जाकिर हुसैन के पिता भी एक प्रसिद तबला वादक थे और तबला वादन की शिक्षा, दीक्षा और प्रेरणा उन्हें अपने पिता से ही मिली थी. उन्होंने मात्र तीन साल की उम्र में ही संगीत सीखना शुरू किया था और सात साल उम्र में अपना पहला परफॉर्मेंस दिया था.

बचपन से ही उन्हें धुन बजाने का शौक था और घर के किचन के बर्तनों जैसे तवा, हांड़ी, थाली आदि पर अपनी उँगलियाँ चलाकर धुन बजने लगते थे.जाकिर हुसैन ने सिर्फ 11 साल की उम्र में अमेरिका में पहला कॉन्सर्ट किया था।

जाकिर हुसैन की प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के माहिम स्थित सेंट माइकल स्कूल से हुई थी और उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन भी मुंबई के ही सेंट जेवियर्स कॉलेज से पूरी की थी.

उस्ताद जाकिर हुसैन के गुरू कौन थे और वे किस संगीत घराने से थे :

जाकिर हुसैन संगीत के पंजाब घराने से है. जाकिर हुसैन के पिता उस्ताद अल्लारखा कुरैशी पंजाब घराने के प्रसिद्द तबला वादक थे. उनके पिता ही उनके पहले गुरु थे. अपने पिता के अलावा उन्होंने उस्ताद लतीफ़ अहमद खान और उस्ताद विलायत हुसैन खान से भी तबले की तामिल ली थी.

मात्र 11 वर्ष कि उम्र में किया था अमेरिका में अपना पहला कॉन्सर्ट :

बचपन से ही उन्हें धुन बजाने का शौक था और घर के किचन के बर्तनों जैसे तवा, हांड़ी, थाली आदि पर अपनी उँगलियाँ चलाकर धुन बजने लगते थे.उन्होंने मात्र तीन साल की उम्र में ही संगीत सीखना शुरू किया था और सात साल उम्र में अपना पहला परफॉर्मेंस दिया था. उन्होंने छोटी उम्र से ही पिता के साथ कॉन्सर्ट में जाना शुरू कर दिया था.

जाकिर हुसैन ने सिर्फ 11 साल की उम्र में अमेरिका में पहला कॉन्सर्ट करके पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था. जाकिर हुसैन मात्र 12 वर्ष कि उम्र में अपने पिता के साथ एक कॉन्सर्ट में गए थे जिसने भारतीय संगीत की महान हस्तियाँ पंडित रविशंकर, उस्ताद अली अकबर खान, बिस्मिल्लाह खान, पंडित शांता प्रसाद और पंडित किशन महाराज आदि भी पहुंचे थे. परफॉर्मेंस खत्म होने के बाद जाकिर हुसैन को 5 रुपए मिले थे. एक इंटरव्यू में उन्होंने इसका जिक्र करते हुए कहा था- “मैंने अपने जीवन में बहुत पैसे कमाए, लेकिन वो 5 रुपए सबसे ज्यादा कीमती थे”

जाकिर हुसैन कहते थे –“तबले के बिना जिंदगी है, ये मेरे लिए सोचना असंभव है

व्हाइट हाउस में किया था अपनी कला का प्रदर्शन :

उस्ताद जाकिर हुसैन की कला का दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका भी मुरीद था. वर्ष 2016 में उन्हें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ऑल स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया था और इसमें शामिल होने वाले जाकिर हुसैन पहले भारतीय संगीतकार थे.

जाकिर हुसैन ने भारतीय शास्त्रीय संगीत और जैज़ (क्रॉसओवर एल्बम) दोनों के दिग्गजों के साथ संगीत का उच्च स्तर प्राप्त किया था :

दुनिया के सबसे महान तबला वादक के रूप में प्रशंसित जाकिर हुसैन ने भारतीय शास्त्रीय संगीत और जैज़ दोनों के दिग्गजों के साथ तबला वादन किया है. अन्य किसी संगीतकार के बारे में सोचना मुश्किल है जिसने दोनों दुनियाओं को इतने प्रमुख स्तर तक पहुंचाया हो. जाकिर हुसैन के प्रसिद्द जैज़ (क्रॉसओवर एल्बम) है.

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शांति (अटलांटिक) 1971शक्ति: जॉन मैकलॉघलिन के साथ कोलंबिया 1976 महाविष्णु ऑर्केस्ट्रा
सॉन्ग फॉर एवरीवन(एल शंकर के साथ)(पहला एल्बम ईसीएम)1985करुणा सुप्रीम: जॉन हैंडी और अली अकबर खान के साथ (एमपीएस)
1976
हुसैन:मेकिंग म्यूज़िक (ईसीएम)1987मिकी हार्ट : प्लैनेट ड्रम रेकोडिस्क 1991
जॉर्ज ब्रूक्स : समिट (अर्थ ब्रदर म्यूज़िक) 2002जाकिर हुसैन : डिस्टेंट किन मोमेंट रिकॉर्ड्स 2015

जाकिर हुसैन बायोग्राफी | Zakir Hussain Biography

1973 में पहला एल्बम ‘लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड’ लॉन्च किया :

जाकिर हुसैन ने वर्ष 1973 में अपना पहला एल्बम ‘लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड’ लॉन्च किया था. उस्ताद जाकिर हुसैन के 10 सबसे अधिक पॉपुलर एल्बम हैं.

फेस टू फेस (1977): बैंड शक्ति के साथमेकिंग म्यूजिक (1987): जेन गार्ब्रिक, जॉन मैक्लॉफलिन और हरिप्रसाद चौरसिया के साथ
प्लानेट ड्रम (1991): मिकी हार्ट के साथसाउंडस्केप्स: म्यूजिक ऑफ द डेजर्ट (1993): सोलो एल्बम
उस्ताद अमजद अली खान एंड जाकिर हुसैन (1994): उस्ताद अमजद अली खान के साथसिंक्रोनिकिटी शांति (1995): मैक्लॉफलिन, उत्पल भट्टाचार्य, वी. सेल्वागणेश और शंकर महादेवन के साथ
साज़ (1998): फिल्म एल्बमद ट्री ऑफ रिदम (2002): उस्ताद अल्लारक्खा, तौफिक कुरैशी और फजल कुरैशी के साथ
ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट (2007): मिकी हार्ट, इम्रान हुसैन, चंदन शर्मा, सिक्रू अडिपोजु, जियोवानी हिडाल्गो के साथएन वी स्पीक (2023): बेला फ्लेक, एडगर मेयर और राकेश चौरसिया के साथ

जाकिर हुसैन को मिले थे एक साथ तीन ग्रैमी अवार्ड :

संगीत सम्राट उस्ताद जाकिर हुसैन को वर्ष 2024 में एक साथ तीन ग्रैमी अवार्ड मिले थे. मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन ने 3 बार ग्रैमी अवॉर्ड जीता था.

  • सबसे पहले उन्होंने 1992 में एल्बम ‘प्लेनेट ड्रम्स‘ के लिए टी.एच. ‘विक्कू’ विनायकराम के साथ ग्रैमी जीता था .
  • वर्ष 2009 में 51वें ग्रैमी पुरस्कार के लिए हुसैन ने मिकी हार्ट और जियोवानी हिडाल्गो के साथ अपने सहयोगी एल्बम ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट के लिए समकालीन विश्व संगीत एल्बम श्रेणी में ग्रैमी जीता.
  • तबला वादक जाकिर हुसैन ने वर्ष 2024 में 66वें ग्रैमी अवार्ड्स में इतिहास रच दिया. जाकीर हुसैन एक ही रात में तीन ग्रैमी ट्रॉफियाँ जीतने वाले पहले भारतीय बन गए थे. उन्हें सर्वश्रेष्ठ वैश्विक संगीत प्रदर्शन, सर्वश्रेष्ठ समकालीन वाद्य एल्बम और सर्वश्रेष्ठ वैश्विक संगीत एल्बम श्रेणियों में विजेताओं में शामिल करते हुए 3 ग्रैमी अवार्ड्स दिए गए. उन्हें ‘पश्तो’ के लिए ‘बेस्ट ग्लोबल म्यूजिक परफॉरमेंस’ और ‘एज वी स्पीक’ के लिए ‘बेस्ट कंटेम्पररी इंस्ट्रूमेंटल एल्बम’ का ग्रैमी अवार्ड मिला और अपने जैज़ ग्रुप ‘शक्ति’ के पहले एल्बम ‘दिस मोमेंट’ के लिए ‘बेस्ट ग्लोबल म्यूजिक एल्बम’ का ग्रैमी पुरस्कार भी मिला.

बैंड ‘शक्ति’ के पहले एल्बम को मिला ग्रैमी अवॉर्ड :

इंग्लिश गिटार वादक जॉन मैकलॉलिन ने 1973 में भारतीय वायलिन वादक एल. शंकर, तबला वादक जाकिर हुसैन और टी.एच. ‘विक्कू’ विनायकराम के साथ फ्यूजन बैंड ‘शक्ति’ की शुरुआत की थी लेकिन कुछ समय बाद ये बैंड बहुत एक्टिव नहीं रहा. 1997 में जॉन मैकलॉलिन ने फिर से इसी कॉन्सेप्ट पर ‘रिमेम्बर शक्ति’ नाम से बैंड बनाया और इसमें मैन्डलिन प्लेयर यू. श्रीनिवास, वी. सेल्वागणेश (टी.एच. ‘विक्कू’ विनायकराम के बेटे), और शंकर महादेवन को शामिल किया था. 2020 में बैंड ‘शक्ति’ ने 46 साल बाद अपना पहला एल्बम ‘दिस मोमेंट’ रिलीज किया. जिसे 66वें ग्रैमी अवॉर्ड्स में ‘बेस्ट ग्लोबल म्यूजिक एल्बम’ कैटगरी में विनर घोषित किया गया था.

उस्ताद को भारत सरकार ने किया था पदम् पुरस्कारों से सम्मानित :

भारत सरकार ने भारतीय तबला वादक का सम्मान करते हुए साल 1988 में  पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया था तब वह मात्र 37 वर्ष के थे और इस उम्र में यह पुरस्कार पाने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति भी थे. इसी तरह वर्ष 2002 में संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्म भूषण का पुरस्कार दिया गया और 22 मार्च 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा  उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.

उस्ताद जाकिर हुसैन के अवार्डस :

भारतीय संगीत की महान हस्ती जाकिर हुसैन ने अपने जीवनकाल में लोगो के प्यार, सम्मान के साथ अनेकों पुरस्कार भी प्राप्त किये जिनकी सूची निम्न प्रकार है

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उस्ताद जाकिर हुसैन का परिवार :

उस्ताद जाकिर हुसैन का जन्म 1951 में महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में हुआ था. उनके पिता का नाम उस्ताद अल्लारखा कुरैशी और माता का नाम बावी बेगम था. जाकिर हुसैन के पिता भी एक प्रसिद तबला वादक थे. उनकी पत्नी का नाम एंटोनिया मिनेकोला जो एक कत्थक नृत्यांगना हैं. उनकी दो बेटियां है जिनका नाम है अनीसा कुरैशी और इसाबेला कुरैशी.

FAQ :

Q1.भारत के नंबर वन तबला वादक कौन हैं ?

उस्ताद जाकिर हुसैन

Q2. उस्ताद जाकिर हुसैन कहाँ रहते हैं ?

अमेरिका के सैन फ्रांसिस्कों में

Q3 जाकिर हुसैन का जन्म कहाँ हुआ था ?

मुंबई

Q4. जाकिर हुसैन क्या बजाते थे ?

तबला

Q5. उस्ताद जाकिर हुसैन को कितनी बार ग्रैमी अवॉर्ड्स मिले थे ?

तीन बार . वर्ष 1992, 2009 और 2024 में .

Q6. जाकिर हुसैन को पद्दम विभूषण पुरुस्कार कब मिला था ?

वर्ष 2023 में

Q7. जाकिर हहुसैन को सबसे पहले उस्ताद कीसने कहा ?

भारत सरकार ने कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए वर्ष 1988 में पदमश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था. उसी समय पहली बार पंडित रविशंकर ने उन्हें उस्ताद कहकर संबोधित किया था

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