ममता कुलकर्णी महाकुम्भ में बनी महामंडलेश्वर : महाकुम्भ 2025 बॉलीवुड की चकाचोंद से सन्यास की और

अभिनेत्री ममता कुलकर्णी कई साल बाद भारत वापिस आई है और महाकुम्भ में प्रयागराज में किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर बन गई हैं. ममता कुलकर्णी ने शुक्रवार को प्रयागराज में संगम तट पर पिंडदान किया. किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर बनने के बाद उन्हें यामाई ममता नंद गिरि नाम दिया गया है.

ममता कुलकर्णी महाकुम्भ में बनी महामंडलेश्वर

मशहुर फ़िल्म करण अर्जुन की अभिनेत्री और अंडरवर्ल्ड से रिश्तों के कारण विवादों में रही ममता कुलकर्णी कई साल बाद भारत वापिस आई और महाकुम्भ में अध्यात्म में रम गईं.ममता कुलकर्णी महाकुंभ में किन्नर अखाड़ा पहुंची और उन्होंने किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी से मुलाकात कर आशीर्वाद लिया और शुक्रवार को प्रयागराज में संगम तट पर पिंडदान कर किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर बन गई.

ममता कुलकर्णी का नया नाम यामाई ममता नंद गिरि :

ममता कुलकर्णी ने महाकुम्भ में आस्था की डुबकी लगते हुए किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया को पूरा करके संगम तट पर पिंडदान किया. महामंडलेश्वर बनने के बाद उन्हें यामाई ममता नंद गिरि नाम दिया गया है.

किन्नर अखाड़ा :

किन्नर अखाड़े की स्थापना वर्ष 2015 में की गई थी. सामाजिक कार्यकर्ता और किन्नरों की लीडर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने इस अखाड़े की स्थापना वर्ष 2015 में की थी. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के अनुसार उन्होंने किन्नरों को समाज में सम्मान दिलाने के लिए और अपने साथियों के साथ किन्नर समाज को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए इस अखाड़े की शुरुआत की है.

किन्नर अखाड़े के नियमों के अनुसार इस अखाड़े में शामिल होने के लिए किन्नर होना जरूरी नहीं है. कोई भी व्यक्ति जो सनातन और किन्नरों में आस्था रखता है, वह कुछ प्रक्रियाओं के बाद अखाड़े से जुड़ सकता है.इस अखाड़े में अन्य 13 अखाड़ों जैसी कठिन साधना-तपस्या नहीं है.

ममता कुलकर्णी में किन्नर अखाड़े के लचीले नियमों से प्रभावित होकर अपनी आस्था को नया मुकाम देते हुए महामंडलेश्वर बनने का निर्णय किया .

महाकुम्भ में कितने अखाड़े है:

महाकुम्भ में अखाड़ों की शुरुवात आदि शंकराचार्य ने की थी. अखाड़े बनाने का मुख्य उद्देश्य सनातन की रक्षा करना था और इसीलिए शस्त्र विधा में निपुण साधुओं के संगठन बनाये गए जिन्हे अखाड़े कहा जाने लगा. महाकुम्भ में कुल 13 अखाड़े है जिन्हे तीन वर्गों- शैव , वैष्णव् और उदासीन में बनता गया है . शैव सम्प्रदाय के 7 अखाड़े है जो शिव की पूजा करते हैं. वैष्णव् सम्प्रदाय के 3 अखाड़े हैं जो भगवान विष्णु और उनके अवतारों की पूजा करते हैं. उदासीन सम्प्रदाय के 3 अखाड़े है जो अन्नंत शक्ति के प्रतिक “ॐ ” की पूजा करते हैं.

इन 13 अखाड़ों के अलावा सामाजिक कार्यकर्ता और किन्नरों की लीडर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने किन्नर अखाड़े की स्थापना वर्ष 2015 में की थी और इसी अखाड़े के अधीन ममता कुलकर्णी ने महामंडलेश्वर की उपाधि प्राप्त की है.

महामंडलेश्वर कैसे बनते है.

महाकुम्भ में हर अखाड़े में महामंडलेश्वर की एक प्रक्रिया है जिसमे कई नियमो और प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है

सबसे पहले अखाड़े को आवेदन करना होता है और उसके बाद संन्यास की दीक्षा देकर संत बनाया जाता है. नदी किनारे मुंडन और स्नान करवाकर परिवार और खुद का पिंडदान कराते हैं.पत्नी, बच्चों समेत पुरे परिवार का पिंड दान कर संन्यास परंपरा अनुसार विजय हवन संस्कार होता है.

उसके बाद दीक्षा दी जाती है और गुरु बनाकर चोटी काटते हैं. अखाड़े में दूध, घी, शहद, दही, शक्कर से बने पंचामृत से पट्‌टाभिषेक होता है और अखाड़े की ओर से चादर भेंट की जाती है. इसके बाद उस अखाड़े में प्रवेश करते है जिसके महामंडलेश्वर बनाये गए है. अखाड़े में साधु-संत, आम लोग और अखाड़े के पदाधिकारियों को भोजन करवाकर दक्षिणा दी जाती है.

महामंडलेश्वर बनाने के बाद घर से संबंध खत्म करने होते हैं और अपनी मोह माया और सांसारिकता त्याग कर, श्रेष्ठ कार्यों के लिए, लोक कल्याण के लिए, पारमार्थिक जीवन जीने के लिए संकल्प लेना होता है.

किन्नर अखाड़े के नियम सरल हैं :

ममता कुलकर्णी ने जिस किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर की पदवी प्राप्त की है उसके नियम अन्य अखाड़े से अलग हैं. किन्नर अखाड़ा के महामंडलेश्वर में किसी चीज की बंदिश नहीं होती है. व्यक्ति स्वतंत्र रह सकता है.धार्मिक रूप से कुछ भी कर सकते हैं. किन्नर अखाड़ा स्वतंत्रता देता है कि आप हर चीज कर सकते हो और आप अपना भौतिक जीवन भी जी सकते हैं.

ममता कुलकर्णी के अनुसार किन्नर अखाड़ा स्वतंत्रता देता है कि आप हर चीज कर सकते हो और आप अपना भौतिक जीवन भी जी सकते हैं. यह एक मध्यम मार्ग है इसीलिए उन्होंने इसे चुना.

ममता कुलकर्णी 23 साल से तपस्या कर रही है :

ममता कुलकर्णी के अनुसार उन्होंने साल 2000 से गुरु श्री चैतन्य गगन गिरी गुरु नाथ के मार्गदर्शन में अपनी तपस्या शुरू की और गुरु से दीक्षा ली थी. उसके गुरु का आश्रम कुपोली में है.

23 साल की तपस्या के बाद उन्होंने अर्धनारीश्वर स्वरूप के प्रतीक किन्नर अखाड़े से महामंडलेश्वर बनने का निर्णय लिया.

ममता कुलकर्णी 90 के दशक की खूबसूरत और बोल्ड अदाकारा :

अभिनेत्री ममता कुलकर्णी का जन्म 20 अप्रैल 1972 को मुंबई में हुआ था. ममता कुलकर्णी ने 1991 में अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत तमिल फिल्म ‘ननबरगल’ से की थी और साल 1991 में ही उनकी पहली हिंदी फिल्म ‘मेरा दिल तेरे लिए’ रिलीज हुई. ममता कुलकर्णी ‘आशिक आवारा’,  ‘करण अर्जुन’, ‘नसीब’, ‘सबसे बड़ा खिलाड़ी’, ‘क्रांतिवीर’, ‘आंदोलन’, ‘छुपा रुस्तम’, ‘घातक’, ‘वक्त हमारा है’, ‘बाजी’ जैसी कई फिल्मों में काम किया था. वेबसाइट आईएमडीबी के अनुसार, एक्ट्रेस ने अपने फ़िल्मी करियर में कुल 34 फिल्में करते हुए हिंदी सिनेमा के अलावा तमिल, बंगाली, मराठी फिल्म इंडस्ट्री में काम किया था. ममता ने बॉलीवुड में अपनी आखिरी सफल फिल्म कभी तुम कभी हम (2002) में की थी.

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ममता कहती है वो ईश्वर के लिए पैदा हुई है

ममता कुलकर्णी ने वर्ष 2013 में अपनी किताब ‘ऑटोबायोग्राफी ऑफ एन योगिनी’ रिलीज की थी और इस दौरान फिल्‍मी दुनिया को अलविदा कहने की वजह बताते हुए कहा था, ‘कुछ लोग दुनिया के कामों के लिए पैदा होते है, जबकि कुछ ईश्‍वर के लिए पैदा होते हैं। मैं भी ईश्‍वर के लिए पैदा हुई हूं।’

ममता कुलकर्णी का विवादों से रहा नाता, मैगजीन के लिए 1993 में टॉपलेस फोटोशूट कराया , अंडरवर्ल्ड से जुड़ा नाम :

90 के दशक की खुबशुरत और बोल्ड अदाकारा ने कई बड़े सितारों के साथ फ़िल्में की थी लेकिन ममता कुलकर्णी हमेशा विवादों में रही. सबसे पहले वह साल 1993 में स्टारडस्ट मैगजीन के लिए टॉपलेस फोटोशूट करवाकर विवादों में आई और फिर उन्होंने डायरेक्टर राजकुमार संतोषी पर फ़िल्म “चायना गेट ” के दौरान सेक्सुअल हैरेसमेंट का आरोप भी लगाया. अंडरवर्ल्ड से अपने रिश्तों के कारण हमेशा विवादों में रही.

अंडरवर्ल्ड ड्रग माफिया विक्की गोस्वामी से शादी की हालांकि, ममता ने अपनी शादी की खबरों को हमेशा ही अफवाह बताया. ममता का कहना था यह सही है कि मैं विक्‍की से प्‍यार करती थी लेकिन अब मेरा पहला प्‍यार ईश्‍वर हैं.

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ममता कुलकर्णी कहाँ रहती है :

ममता कुलकर्णी ने बॉलीवुड में आखरी फिल्म वर्ष 2002 में की थी. उसके बाद उन्होंने इंडिया छोड़ दिया और फिल्म इंडस्ट्री छोड़ने के बाद ममता अंडरवर्ल्ड ड्रग्स माफिया विक्की गोस्वामी के साथ दुबई और केन्या में जाकर रहने लगी थीं.

ममता कुलकर्णी बॉलीवुड में दोबारा एंट्री करेंगी ?

ममता कुलकर्णी के अनुसार बॉलीवुड से मेरा कोई नाता नहीं है. वो तो मैंने कब का छोड़ दिया. मैं बॉलीवुड के लिए वापस नहीं आई. मैं 23 साल बाद इंडिया में आई. 144 साल बाद ये जो महाकुंभ है। मैं सिर्फ इसके लिए आई हूं। अब मुझे महामंडलेश्वर की ख्याति मिल रही है। इससे बड़ी बात क्या हो सकती है. अब मुझे कुछ नहीं चाहिए.

FAQ:

Q1. ममता कुलकर्णी कितने साल की है ?

ममता कुलकर्णी का जन्म 20 अप्रैल 1972 में मुंबई में हुआ था. वह अभी 52 साल की है

Q2. ममता कुलकर्णी कहाँ रहती है?

दुबई में रहती है

Q3. ममता कुलकर्णी के पति का क्या नाम है ?

इन्टरनेट पर सर्च करने पर ममता कुलकर्णी के पति का नाम विक्की गोस्वामी सामने आता है लेकिन ममता ने हमेशा ड्रग माफिया विक्की से शादी को अफवाह बताया है . ममता के अनुसार उन्होंने किसी से शादी नहीं की.

Q4. ममता कुलकर्णी ने किन फिल्मों में काम किया था?

ममता कुलकर्णी ‘आशिक आवारा’,  ‘करण अर्जुन’, ‘नसीब’, ‘सबसे बड़ा खिलाड़ी’, ‘क्रांतिवीर’, ‘आंदोलन’, ‘छुपा रुस्तम’, ‘घातक’, ‘वक्त हमारा है’, ‘बाजी’ जैसी कई फिल्मों में काम किया था

Q5. ममता कुलकर्णी देश छोड़ कर क्यों चली गई ?

ड्रग केस में लिप्त होने के आरापों के बाद देश छोड़ कर केन्या चली गई थी.

Q6. ममता कुलकर्णी की इन्स्टाग्राम id क्या है ?

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