जाकिर हुसैन बायोग्राफी | Zakir Hussain Biography

उस्ताद ज़ाकिर हुसैन भारत ही नहीं पूरी दुनिया के प्रसिद्द तबला वादक हैं. उनके पिता क़ुरैशी अल्ला रक्खा ख़ान भी एक मशहूर तबला वादक थे. उन्हें कला का यह हुनर विरासत में मिला था जिसे अपनी लगन और मेहनत से नये मुकाम पर पहुंचा दिया.ज़ाकिर हुसैन ने देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में अपनी संगीत कला का परचम लहराया है. बचपन से ही उन्हें धुन बजाने का शौक था और घर के किचन के बर्तनों जैसे तवा, हांड़ी, थाली आदि पर अपनी उँगलियाँ चलाकर धुन बजने लगते थे.जाकिर हुसैन ने सिर्फ 11 साल की उम्र में अमेरिका में पहला कॉन्सर्ट किया था.

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ज़ाकिर हुसैन जब तबले पर अपनी उँगलियाँ चलते थे तो पुरे संसार को मंत्रमुग्ध कर देते थे और लोग मदहोश होकर कहने लगते थे ” वाह उस्ताद “. उन्होंने अपनी कला को लगन और मेहनत से तराशकर कर नए मुकाम पर पहुँचाया था लेकिन इतनी ऊंचाई पर पहुँचने के बाद भी वे सादगी से जीवन जीना पसंद करते थे. जाकिर हुसैन को अपने जीवन काल में कई सम्मानों और पुरस्कारों से नवाजा गया था.भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्म विभूषण, पद्म भूषण तथा पद्म श्री से सम्मानित किया जा चुका है।

जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था और 16 दिसम्बर 2024 को अमेरिका के सैन फ्रांसिस्कों में 73 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहा दिया.

जाकिर हुसैन जीवन परिचय : जाकिर हुसैन बायोग्राफी

“तबले के बिना जिंदगी है, ये मेरे लिए सोचना असंभव है“- उस्ताद जाकिर हुसैन

विवरणजानकारी
पूरा नामउस्ताद जाकिर हुसैन
जन्म9 मार्च 1951 को मुंबई में
निधन16 दिसम्बर 2024 को अमेरिका के सैन फ्रांसिस्कों में इलाज के दौरान
मृत्यु का कारणदिल और ब्लड प्रेशर की बीमारी के कारण
पिता का नामउस्ताद अल्लारखा कुरैशी जो एक प्रसिद तबला वादक थे
माता का नामबावी बेगम (गृहणी )
पत्नीएंटोनिया मिनेकोला जो एक कत्थक नृत्यांगना हैं
बच्चों के नामअनीसा कुरैशी और इसाबेला कुरैशी
शिक्षाप्रारंभिक शिक्षा मुंबई के माहिम स्थित सेंट माइकल स्कूल से
ग्रेजुएशन मुंबई के ही सेंट जेवियर्स कॉलेज से
पेशाप्रख्यात तबला वादक, संगीतकार, निर्माता, फिल्म अभिनेता
पहला एल्बम‘लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड’
प्रमुख सम्मानग्रैमी अवॉर्ड्स : कुल 5 (2024 में 3 अवॉर्ड्स)
पद्म श्री (1988)
पद्म भूषण (2002)
पद्म विभूषण (2023)
उपलब्धियां6 दशक का करियर, 1000 से अधिक अंतरराष्ट्रीय शो
ज़ाकिर हुसैन भारतीय और पश्चिमी संगीत के संगम के प्रतीक थे

जाकिर हुसैन बायोग्राफी : प्रारंभिक जीवन

मशहूर तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन का जन्म 1951 में महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में हुआ था. उनके पिता का नाम उस्ताद अल्लारखा कुरैशी और माता का नाम बावी बेगम था. जाकिर हुसैन के पिता भी एक प्रसिद तबला वादक थे और तबला वादन कि शिक्षा, दीक्षा और प्रेरणा उन्हें अपने पिता से ही मिली थी.बचपन से ही उन्हें धुन बजाने का शौक था और घर के किचन के बर्तनों जैसे तवा, हांड़ी, थाली आदि पर अपनी उँगलियाँ चलाकर धुन बजने लगते थे.जाकिर हुसैन ने सिर्फ 11 साल की उम्र में अमेरिका में पहला कॉन्सर्ट किया था।

जाकिर हुसैन बायोग्राफी : शिक्षा

जाकिर हुसैन की प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के माहिम स्थित सेंट माइकल स्कूल से हुई थी और उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन भी मुंबई के ही सेंट जेवियर्स कॉलेज से पूरी की थी. संगीत कला कि प्रेरणा उन्हें अपने घर से ही मिली थी. उनके पिता उस्ताद अल्लारखा कुरैशी एक प्रसिद तबला वादक थे.बचपन से ही उन्हें धुन बजाने का शौक था और घर के किचन के बर्तनों जैसे तवा, हांड़ी, थाली आदि पर अपनी उँगलियाँ चलाकर धुन बजने लगते थे.जाकिर हुसैन ने सिर्फ 11 साल की उम्र में अमेरिका में पहला कॉन्सर्ट किया था.

उस्ताद जाकिर हुसैन का परिवार :

उस्ताद जाकिर हुसैन का जन्म 1951 में महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में हुआ था. उनके पिता का नाम उस्ताद अल्लारखा कुरैशी और माता का नाम बावी बेगम था. जाकिर हुसैन के पिता भी एक प्रसिद तबला वादक थे. उनकी पत्नी का नाम एंटोनिया मिनेकोला जो एक कत्थक नृत्यांगना हैं. उनकी दो बेटियां है जिनका नाम है अनीसा कुरैशी और इसाबेला कुरैशी.

उस्ताद जाकिर हुसैन का घराना और गुरू :

जाकिर हुसैन के पिता उस्ताद अल्लारखा कुरैशी पंजाब घराने के प्रसिद्द तबला वादक थे. उनके पिता ही उनके पहले गुरु थे. अपने पिता के अलावा उन्होंने उस्ताद लतीफ़ अहमद खान और उस्ताद विलायत हुसैन खान से भी तबले की तामिल ली थी. तबला उनके लिए बचपन का दोस्त था जिसके बड़े होने पर वे इसकी इबादत करने लगे. जीवन के शुरुवाती दिनों में जब जाकिर हुसैन ट्रेन में यात्रा करते थे तो तबले को अपनी गोद में रखते थे ताकि किसी का पैर लगकर उसका अपमान न हो जाये.

वर्ष 2010 में जाकिर हुसैन को उस्ताद अल्लारक्खा इंस्टिट्यूट ऑफ म्यूजिक द्वारा पंजाब घराने के तबला वादन के सबसे बड़े गुरु की उपाधि दी गई थी.

जाकिर हुसैन बायोग्राफी :12 वर्ष की उम्र में पिता के साथ कॉन्सर्ट से पहली कमाई 5 रूपए

उन्होंने मात्र तीन साल की उम्र में ही संगीत सीखना शुरू किया था और सात साल उम्र में अपना पहला परफॉर्मेंस दिया था. उन्होंने छोटी उम्र से ही पिता के साथ कॉन्सर्ट में जाना शुरू कर दिया था.जाकिर हुसैन ने सिर्फ 11 साल की उम्र में अमेरिका में पहला कॉन्सर्ट करके पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था.

जाकिर हुसैन मात्र 12 वर्ष कि उम्र में अपने पिता के साथ एक कॉन्सर्ट में गए थे जिसने भारतीय संगीत की महान हस्तियाँ पंडित रविशंकर, उस्ताद अली अकबर खान, बिस्मिल्लाह खान, पंडित शांता प्रसाद और पंडित किशन महाराज आदि भी पहुंचे थे. परफॉर्मेंस खत्म होने के बाद जाकिर हुसैन को 5 रुपए मिले थे. एक इंटरव्यू में उन्होंने इसका जिक्र करते हुए कहा था- “मैंने अपने जीवन में बहुत पैसे कमाए, लेकिन वो 5 रुपए सबसे ज्यादा कीमती थे”

जाकिर हुसैन को पहली बार उस्ताद पंडित रविशंकर ने कहा था :

भारत सरकार ने कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए वर्ष 1988 में पदमश्री पुरस्कार से नवाजा था. उस समय उनकी उम्र मात्र 37 साल थी और इतनी कम उम्र में ये पुरुस्कार पाने वाले वे सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे. उसी समय पहली बार पंडित रविशंकर ने उन्हें उस्ताद कहकर संबोधित किया था और उसके बाद यह सिलसिला कभी नहीं रुका.

व्हाइट हाउस में ऑल स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट में भाग लेने वाले पहले संगीतकार :

उस्ताद जाकिर हुसैन की कला का दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका भी मुरीद था. वर्ष 2016 में उन्हें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ऑल स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया था और इसमें शामिल होने वाले जाकिर हुसैन पहले भारतीय संगीतकार थे.

जाकिर हुसैन बायोग्राफी: जाकिर हुसैन का पहला एल्बम ‘लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड’

ज़ाकिर हुसैन ने छह दशकों तक भारतीय शास्त्रीय संगीत को समृद्ध किया। उनकी पहली अंतरराष्ट्रीय पहचान 1973 में जॉर्ज हैरिसन और जॉन हैंडी के साथ एल्बम  ‘लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड’  और Hard Work से हुई. उस्ताद जाकिर हुसैन के 10 सबसे अधिक पॉपुलर एल्बम हैं.

फेस टू फेस (1977): बैंड शक्ति के साथमेकिंग म्यूजिक (1987): जेन गार्ब्रिक, जॉन मैक्लॉफलिन और हरिप्रसाद चौरसिया के साथ
प्लानेट ड्रम (1991): मिकी हार्ट के साथसाउंडस्केप्स: म्यूजिक ऑफ द डेजर्ट (1993): सोलो एल्बम
उस्ताद अमजद अली खान एंड जाकिर हुसैन (1994): उस्ताद अमजद अली खान के साथसिंक्रोनिकिटी शांति (1995): मैक्लॉफलिन, उत्पल भट्टाचार्य, वी. सेल्वागणेश और शंकर महादेवन के साथ
साज़ (1998): फिल्म एल्बमद ट्री ऑफ रिदम (2002): उस्ताद अल्लारक्खा, तौफिक कुरैशी और फजल कुरैशी के साथ
ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट (2007): मिकी हार्ट, इम्रान हुसैन, चंदन शर्मा, सिक्रू अडिपोजु, जियोवानी हिडाल्गो के साथएन वी स्पीक (2023): बेला फ्लेक, एडगर मेयर और राकेश चौरसिया के साथ

वर्ष 1975 में जाकिर हुसैन ने मशहूर बैंड शक्ति की स्थापना की जिसमें उन्होंने ल. शंकर और जॉन मैकलॉफ्लिन जैसे कलाकारों के साथ काम किया. 1991 में उन्होंने मिक्की हार्ट के साथ एल्बम Planet Drum में काम किया जिसके लिए उन्हें पहला ग्रैमी अवार्ड मिला था.

जाकिर हुसैन बायोग्राफी: ज़ाकिर हुसैन भारतीय और पश्चिमी संगीत के संगम के प्रतीक

दुनिया के सबसे महान तबला वादक के रूप में प्रशंसित जाकिर हुसैन ने भारतीय शास्त्रीय संगीत और जैज़ दोनों के दिग्गजों के साथ तबला वादन किया है. अन्य किसी संगीतकार के बारे में सोचना मुश्किल है जिसने दोनों दुनियाओं को इतने प्रमुख स्तर तक पहुंचाया हो. जाकिर हुसैन के प्रसिद्द जैज़ (क्रॉसओवर एल्बम) है

शांति (अटलांटिक) 1971शक्ति: जॉन मैकलॉघलिन के साथ कोलंबिया 1976 महाविष्णु ऑर्केस्ट्रा
सॉन्ग फॉर एवरीवन(एल शंकर के साथ)(पहला एल्बम ईसीएम)1985करुणा सुप्रीम: जॉन हैंडी और अली अकबर खान के साथ (एमपीएस)
1976
हुसैन:मेकिंग म्यूज़िक (ईसीएम)1987मिकी हार्ट : प्लैनेट ड्रम रेकोडिस्क 1991
जॉर्ज ब्रूक्स : समिट (अर्थ ब्रदर म्यूज़िक) 2002जाकिर हुसैन : डिस्टेंट किन मोमेंट रिकॉर्ड्स 2015

जाकिर हुसैन बायोग्राफी: जाकिर हुसैन के ग्रैमी अवार्ड

संगीत सम्राट उस्ताद जाकिर हुसैन को वर्ष 2024 में एक साथ तीन ग्रैमी अवार्ड मिले थे. एक ही रात में तीन ग्रैमी अवार्ड जीतकर उन्होंने पूरी दुनिया को अचरज में डाल दिया था. उन्हें 3 बार में कुल 5 ग्रैमी अवार्ड मिले थे.

  • सबसे पहले उन्होंने 1992 में एल्बम प्लेनेट ड्रम्स‘ के लिए टी.एच. ‘विक्कू’ विनायकराम के साथ ग्रैमी जीता था .
  • वर्ष 2009 में 51वें ग्रैमी पुरस्कार के लिए हुसैन ने मिकी हार्ट और जियोवानी हिडाल्गो के साथ अपने सहयोगी एल्बम ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट के लिए समकालीन विश्व संगीत एल्बम श्रेणी में ग्रैमी जीता.
  • तबला वादक जाकिर हुसैन ने वर्ष 2024 में 66वें ग्रैमी अवार्ड्स में इतिहास रच दिया. जाकीर हुसैन एक ही रात में तीन ग्रैमी ट्रॉफियाँ जीतने वाले पहले भारतीय बन गए थे. उन्हें सर्वश्रेष्ठ वैश्विक संगीत प्रदर्शन, सर्वश्रेष्ठ समकालीन वाद्य एल्बम और सर्वश्रेष्ठ वैश्विक संगीत एल्बम श्रेणियों में विजेताओं में शामिल करते हुए 3 ग्रैमी अवार्ड्स दिए गए. उन्हें पश्तोके लिए बेस्ट ग्लोबल म्यूजिक परफॉरमेंसऔर एज वी स्पीकके लिए बेस्ट कंटेम्पररी इंस्ट्रूमेंटल एल्बमका ग्रैमी अवार्ड मिला और अपने जैज़ ग्रुप शक्तिके पहले एल्बमदिस मोमेंटके लिए बेस्ट ग्लोबल म्यूजिक एल्बमका ग्रैमी पुरस्कार भी मिला.

जाकिर हुसैन के पद्दम पुरस्कार और अन्य पुरुस्कार :

भारत सरकार ने भारतीय तबला वादक का सम्मान करते हुए साल 1988 में  पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया था तब वह मात्र 37 वर्ष के थे और इस उम्र में यह पुरस्कार पाने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति भी थे. इसी तरह वर्ष 2002 में संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्म भूषण का पुरस्कार दिया गया और 22 मार्च 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा  उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.

जाकिर हुसैन के अन्य पुरुस्कार –

पद्म पुरुस्कारपद्म श्री : 1988
पद्म भूषण : 2002
पद्म विभूषण : 2023
ग्रैमी अवार्ड्स1992: प्लेनेट ड्रम एल्बम के लिए बेस्ट वर्ल्ड म्यूजिक का ग्रैमी
2009: ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट के लिए कंटेम्पररी वर्ल्ड म्यूजिक एल्बम का ग्रैमी
2024: तीन अलग एल्बम के लिए तीन ग्रैमी मिले
अन्य प्रमुख पुरस्कार1990: संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
1990: इंडो-अमेरिकन अवॉर्ड
2006: मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से कालिदास सम्मान
2012: कोनाकोल नाट्य मंडल की तरफ से गुरु गंगाधर प्रधान लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड
2019: संगीत नाटक अकादमी की तरफ से अकादमी रत्न पुरस्कार 2022: मुंबई यूनिवर्सिटी की तरफ से संगीत के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए डॉक्टर ऑफ लॉ की मानद उपाधि

जाकिर हुसैन बायोग्राफी: जाकिर हुसैन का भारतीय सिनेमा जगत में योगदान

ज़ाकिर हुसैन का भारतीय सिनेमा जगत में संगीत और अभिनय में भी अहम् योगदान है. फिल्म बावर्ची, सत्यम शिवम् सुन्दरम, हीर राँझा, और साज आदि में संगीत में उनका अहम् योगदान है. तबला बजाने के साथ उन्हें एक्टिंग का भी शौक था.उन्हें सोलो एल्बम ‘मेकिंग म्यूजिक’ से भारी लोकप्रियता मिली थी. वर्ष 1983 में उस्ताद जाकिर हुसैन ने फिल्म ‘हीट एंड डस्ट’ से अभिनय कि शुरुवात की थी इस फिल्म में शशि कपूर अहम रोल में थे.

इसके बाद उन्होंने 1988 में ‘द परफेक्ट मर्डर’, 1992 में ‘मिस बैटीज चिल्डर्स’ और 1998 में ‘साज’ फिल्म में अपने अभिनय का कमल दिखाया था. साल 1998 की फिल्म ‘साज’ में जाकिर हुसैन ने शबाना आजमी के साथ अहम रोल निभाया था जो अपने कॉन्टेंट की वजह से काफी विवादों में रही थी.इस फिल्म में उनके अभिनय को काफी सराहा गया था.

जाकिर हुसैन बायोग्राफी : Zakir Hussain: A Life in Music”

जाकिर हुसैन के जीवन पर आधारित किताब “Zakir Hussain: A Life in Music” 2018 में प्रकाशित हुई थी. यह किताब बातचीत पर आधारित है और बातचीत की थी नसरीन मुन्नी कबीर ने. यह किताब उस्ताद की जिंदगी और केरियर पर विस्तृत प्रकाश डालती है

ज़ाकिर हुसैन का योगदान :

  1. वाधयंत्र तबले को नई पहचान दी: ज़ाकिर हुसैन ने तबले को केवल संगत तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे एकल प्रस्तुति के उच्च स्तर तक ले गए. जाकिर हुसैन ने तबला वादन पर कई प्रयोग कर दुनिया को बताया कि इसमें संगीत के ए, बी, सी, डी, सुर है इसलिए इसमें मधुरता होना आवश्यक है. उस्ताद तबले से शंख, डमरू, बारिश की बूंदों और ट्रेन जैसी आवाजे निकालने की अद्वित्य कला के धनी थे.
  2. भारतीय संगीत को वैश्विक स्तर पर ले गए: उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत और पश्चिमी संगीत के सयोंजन का अद्वित्य कार्य किया. उन्होंने कई मशहूर अंतरराष्ट्रीय कलाकारों के साथ मिलकर काम किया। उनका बैंड “शक्ति” फ्यूजन संगीत की बेहतरीन मिसाल है।
  3. संगीत शिक्षा में योगदान: जाकिर हुसैन एक महान योग्यता के तबलावादक थे जिन्होंने सीनियर डागर ब्रदर्स, उस्ताद गुलाम अली खान से लेकर बिरजू महाराज और हरिहरन जैसे 4 पीढ़ियों के कलाकारों के साथ तबले पर संगत की. हुसैन ने नई पीढ़ी को संगीत सिखाने और भारतीय शास्त्रीय संगीत को संरक्षित करने के लिए कई प्रयास किए।
  4. सम्मान और पुरस्कार: उनके असाधारण योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री,पद्मभूषण और पद्मविभूषण जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. जाकिर हुसैन ने प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सम्मान ग्रैमी अवॉर्ड 5 बार प्राप्त किया. इसके अलावा भी अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान और पुरस्कार हासिल किए।

निष्कर्ष

ज़ाकिर हुसैन का जीवन संगीत के प्रति गहरे समर्पण, लगन और लगातार मेहनत की मिसाल है। उनकी कला और योगदान ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को वैश्विक स्तर पर सम्मान दिलाया है.उनकी विरासत हमारे साथ हमेशा रहेगी और उनकी प्रेरणा संगीत प्रेमियों को आगे भी मार्गदर्शन देती रहेगी. ज़ाकिर हुसैन की कहानी हमें सिखाती है कि जुनून और प्रतिभा के साथ किसी भी कला को नई बुलंदियों तक पहुंचाया जा सकता है।

ज़ाकिर हुसैन ने तबले की कला को दुनिया भर में मशहूर किया.जाकिर हुसैन ने तबला वादन पर कई प्रयोग कर दुनिया को बताया कि इसमें संगीत के ए, बी, सी, डी, सुर है इसलिए इसमें मधुरता होना आवश्यक है.उस्ताद तबले से शंख, डमरू, बारिश की बूंदों और ट्रेन जैसी आवाजे निकालने की अद्वित्य कला के धनी थे। उनका मानना था कि संगीत लोगों को जोड़ता है। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत को एक नए स्तर पर पहुंचाया और उसे आधुनिकता और पाश्चत्य से जोड़ा. उनकी कला भारतीय शास्त्रीय संगीत और वर्ल्ड म्यूजिक के संगम का प्रतीक मानी जाती है.

उनके जीवन की उपलब्धियां जैसे कि पद्म विभूषण सम्मान, ग्रैमी अवॉर्ड्स, और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उनकी प्रस्तुतियां उनकी महानता की गवाही देती हैं। उनकी मृत्यु के बाद भी उनका संगीत हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगा। उनकी कला ने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में भारतीय शास्त्रीय संगीत को अमर बना दिया।

FAQ:

Q1. भारत में सबसे महान तबला वादक कौन हैं?

उस्ताद जाकिर हुसैन

Q2. उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन कहाँ हुआ?

16 दिसम्बर 2024 को अमेरिका के सैन फ्रांसिस्कों में इलाज के दौरान

Q3. जाकिर हुसैन किस घराने से है.?

तबला वादन के पंजाब घराने से

Q4. उस्ताद जाकिर हुसैन के गुरु कौन थे?

जाकिर हुसैन के पिता उस्ताद अल्लारखा कुरैशी पंजाब घराने के प्रसिद्द तबला वादक थे. उनके पिता ही उनके पहले गुरु थे. अपने पिता के अलावा उन्होंने उस्ताद लतीफ़ अहमद खान और उस्ताद विलायत हुसैन खान से भी तबले की तामिल ली थी.

Q5. जाकिर हुसैन को पहली बार उस्ताद किसने कहा था?

भारत सरकार ने कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए वर्ष 1988 में पदमश्री पुरस्कार से नवाजा था. उस समय उनकी उम्र मात्र 37 साल थी और इतनी कम उम्र में ये पुरुस्कार पाने वाले वे सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे. उसी समय पहली बार पंडित रविशंकर ने उन्हें उस्ताद कहकर संबोधित किया था.

Q6. जाकिर हुसैन की पत्नी का नाम क्या है?

एंटोनिया मिनेकोला जो एक कत्थक नृत्यांगना हैं

Q7. जाकिर हुसैन का पहला एल्बम कौनसा था ?

लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड

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